Naresh mehta biography of michael

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पुस्तक का विवरण : रेलिग से सटी कुर्सी पर बेठी वानीरा इस यात्रा के बारे मे क्या सोच रही थी यह विवेक नहीं जानता पर स्वय बहुत स्पष्ट नही था । संभवतः होना भी नही चाहता था, कारण कि जब वानोरा इस बारे में न केवल स्पष्ट ही थी बल्कि पूर्णा आश्वस्त थी तब विवेक के लिए केवल निरापद होने के और क्या शेष रह जाता था? आज मेजर आनन्द का वेसा ही विश्वासी आमत्रण न था जेप्ता कि पांच वर्ष पूर्व&#;&#;&#;..

Pustak Ka Vivaran : Rellig se Sati kursi par bethee vaneera is yatra ke bare me k‍ya soch rahee thee yah vivek nahin janata par svay bahut spasht nahi tha . Sambhavatah hona bhee nahee chahata tha, karan ki jab vanora is bare mein na keval spasht hee thee balki poorna aashvast thee tab vivek ke liye keval Nirapad hone ke aur k‍ya shesh rah jata tha ? Aaj mejar Aanand ka vesa hee vishvasi Aamatran na tha jepta ki Panch varsh Poorv&#;..

Description about eBook : Bethi Vanira in the chair adjacent to the railway did not know what Vivek was thinking about this trip but it was not very clear. Probably did not even want to be, because when Vanora was not only clear about this but Poorna was convinced then what else was left for Vivek to be safe? Today wa

Naresh Mehta Poem in Hindi : यहाँ पर आपको Naresh Mehta ki Kavita in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. श्री नरेश मेहता का जन्म 15 फरवरी को मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के शाजापुर कस्बे में हुआ था. इन्होने बनारस विश्वविद्यालय से एम ए किया और आल इंडिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्य किया. इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह एक यशस्वी कवि कहानीकार, नाटककार, उपन्यासकार थे. नरेश मेहता की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली है. इनका निधन 22 नवम्बर सन में हो गया.

नरेश मेहता की प्रसिद्ध कविताएँ

चैत्या : नरेश मेहता (Chaitya : Naresh Mehta)

1. किरन-धेनुएँ

उदयाचल से किरन-धेनुएँ
हाँक ला रहा वह प्रभात का ग्वाला।

पूँछ उठाए चली आ रही
क्षितिज जंगलों से टोली
दिखा रहे पथ इस भूमा का
सारस, सुना-सुना बोली

गिरता जाता फेन मुखों से
नभ में बादल बन तिरता
किरन-धेनुओं का समूह यह
आया अन्धकार चरता,
नभ की आम्रछाँह में बैठा बजा रहा वंशी रखवाला।

ग्वालिन-सी ले दूब मधुर
वसुधा हँस-हँस कर गले मिली
चमका अपने स्वर्ण सींग वे
अब शैलों से उतर चलीं।

बरस रहा आलोक-दूध है
खेतों खलिहानों में
जीवन की नव किरन फूटती
मकई औ’ धानों में
सरिताओं में सोम दुह रहा वह अहीर मतवाला।

2. उषस् (एक)

नीलम वंशी में से कुंकम के स्वर गूँज रहे !!

अभी महल का चाँद
किसी आलिंगन में ही डूबा होगा

महान कृष्ण भक्त नरसी मेहता की कथा | Narsinh Mehta Story, Jivan Katha in Hindi

नरसी मेहता महान कृष्ण भक्त थे. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने उनको 52 बार साक्षात दर्शन दिए थे. नरसी मेहता का जन्म जूनागढ़, गुजरात मे हुआ था. इनका सम्पूर्ण जीवन भजन कीर्तन और कृष्ण की भक्ति में बीता. इन्होंने भगवान कृष्ण की भक्ति में अपना सब कुछ दान कर दिया था. मान्यता है कि महान भक्त नरसी मेहता की भक्ति के कारण श्री कृष्ण ने नानी बाई का मायरा भी भरा था. इस लेख में हम ऐसे महान कृष्ण भक्त की भक्ति की दिलचस्प कथाएं जानेंगे.

सर्वप्रथम भगवान शिव के साक्षात दर्शन की कथा

नरसी मेहता बचपन से ही भक्ति में डूबे रहते थे. आगे चलकर उन्हें साधु संतों की संगत मिल गई, जिसके कारण वे पूरे समय भजन कीर्तन किया करते थे. जिस कारण घर वाले उनसे परेशान थे. घर के लोगों ने इनसे घर-गृहस्थी के कार्यों में समय देने के लिए कहा, किन्तु नरसी जी पर उसका कोई प्रभाव न पड़ा.

एक दिन इनकी भौजाई ने इन्हें ताना मारते हुए कहा कि ऐसी भक्ति उमड़ी है तो भगवान से मिलकर क्यों नहीं आते? इस ताने ने नरसी पर जादू का कार्य किया. वह उसी क्षण घर छोड़कर निकल पड़े और जूनागढ़ से कुछ दूर एक पुराने शिव मंदिर में बैठकर भगवान शंकर की उपासना करने लगे. उनकी उपासना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए जिसपर भगत नरसी ने भगवान शंकर से कृष्णजी के दर्शन करने

नरेश मेहता

पूरा नामनरेश मेहता
जन्म15 फ़रवरी
जन्म भूमिशाजापुर, मध्य प्रदेश
मृत्यु22 नवम्बर
मृत्यु स्थानभोपाल, मध्य प्रदेश
कर्म भूमिभारत
मुख्य रचनाएँ'अरण्या', 'उत्तर कथा', 'चैत्या', 'दो एकान्त', 'प्रवाद पर्व', 'बोलने दो चीड़ को' आदि।
भाषाहिंदी
विद्यालयबनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
शिक्षाएम.ए.
पुरस्कार-उपाधिज्ञानपीठ पुरस्कार (), साहित्य अकादमी पुरस्कार ()
नागरिकताभारतीय
अन्य जानकारीइन्होंने इन्दौर से प्रकाशित 'चौथा संसार' हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया।
इन्हें भी देखेंकवि सूची, साहित्यकार सूची

नरेश मेहता (अंग्रेज़ी: Naresh Mehta, जन्म: 15 फ़रवरी, - मृत्यु: 22 नवम्बर) ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के यशस्वी कवि एवं उन शीर्षस्थ लेखकों में से हैं, जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक कविता को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया। नरेश मेहता ने इन्दौर से प्रकाशित 'चौथा संसार' हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया।

जीवन परिचय

नरेश मेहता का जन्म सन् 15 फ़रवरी, ई. में मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के शाजापुर कस्बे में हुआ। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से आपने एम.ए. किया। आपने आल इण्डिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रूप


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